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आय लोकबसावा नात्रा
आयइ साधकिना धानिक नई विष
सिवावयविप्रा वि गिनिया चदरारक मूलसिया अवागखि आ०३२ तिहांनिशिसाधुना आगम पहिलो चावलधान साधुयायी उच्यो વાતી त्रए ३२ तासाममात्र याला दारा पत्रात तिलंग स्त्राव क कलपतेन चावल लेवो नकल्प तिहसाधुनाई उद लेवी प्रभुषन दालि
'मवर मंगनी दालि
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प्पस चाअला दाए प डिगा दिए नाकप्प इंसलिलंग स्त्राव पडिगा दिन ए ३३ तिहांतिणि साधुन पूर्वईोग उदर पठावादलधान कल्प दिन नी दालि
मन पहिल
मद्यागमणं बुद्या अत्र तिलंगाव पाउन वा लाक्षप का स मुंगमाषम सूरनी लेवा नकल्प चावलधानालवउ
तिहतमा पहि
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वाष्पना मूल तिदाच्याव हि मिलि
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लिंग शव पडिगादि प्रमासिकपाले रापडिया दिन ३५ सत्र
लोयाव्य साधु व्यापहिली कल्पकतेन
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ममा सो दाविद्वान नाई कम्पनि सादा विपडिगा हिमा
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