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श्री बासीष्ट
"पणाश्री संदेह विषषा किय ते भीम करणा मयामि बोधोल्या चिप्राणिहितैषिणा पप रामष्टन इनमस्का "नमस्कार व अरदेवतरण | नमस्कार व सिमांतरणा नमस्कार आचार्य
नमस्कार घाशी व २०१३ हां३पाना चउस वि इनी की थी जान ई इंजिनकी परिकी आपना राना कर्म मिला कर प्रविष वने उस उपाध्याय
कवयरीन हाई
कशास्त्र आदि ए६॥ नमो रिहंता । नमो मिघाण नमश्राय रियाग। नमो उवज्ञायागा नमो लोए। सहसा कल्पवहिवारं हॉलदाप्रमुख पपाति नमस्का, रमन वचन पाप अरणासकगमा व्यध्यादिक वलीमधला माहे महिल३५ नावतील निकाल ते अरिहंता कर्म रुपय नई शायमपि सर्वसाधुन लडक काय संबंधामधली नऊ पदार मां गल्लिका परमष्टरूपऊव एनवकार ई बाजलस्म करणऊंती । एसोपचन मोक्का रासपा वरणा सण मंगला गंच माह सिंपिढमं हवमंगलं ॥ शतिका सार मानहा
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तराई समय तपकर समग्र राम यदि कर्मस्य पक दास्तान राजराफा लेनिन हातातरा उतराफा लुगुनी है। रकमश्रु महार गुणसहित परी नाजय का लगुनीनातिमहत प्राणित फोहर मान की चव्या विषयक (माकमया
रलं । [तरं मम। स म सँ गवं महावीर चहकत्र रहाळा तंज दाद शुत्ररा हिंदुच
वानंदानी कृषवत चवीन देवा गर्लप दस्तो दिवानंदीनी बीनई संकमाया है तारारा हस्तरा इयता सिद्धतियां सिद्धांताला स्वाने समया३एस्वर्य नंदानी कृषक राईउपना फालग्रीन प स एकगर संघको ग फालगुनी नष्यविश शराफा लुगुना उनावसमुंद्र इकेरी न्याना चार दर्शनाचा
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यशसः प्रियः धर्मस्या
रान उप दिन इंतेश्रा
नागवारा हिंगामा हरियो हजुरा हिंजा छतरा हिं मुंडेस विज्ञा॥ चारित्राचारतपवार स्वाधकाश्ररणगारपणमा प्रकर्षिश्रा हास्ता राईसरा अनंता विष मान्याना निवधान योधा श्रवरारितिध्याय का पारश्रापपलका ४ कालुगुनीनष्पत्रि यती कपासकः नगारा पगारियं । बुशरा हिंश्रणंते । अन्तर निघा घाए। निरावर रणाक बार्थ तियानगो उत्तराश्बई तिन लायाहकय प्रतिप्ररणसर्व मघा रहित केवल दर्शन उपनव स्वाति नक्षत्रमा । परिनिर्वृतमो घियतालगवंत । विविस्तरवासना वाजिगर अंतही रास्ताज्ञान आपणागति महिना कन्यान माझ्या परिनिगन यही। शारत का
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