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________________ साधी मोषियुद्धता हितेन कालिकन बावीस सदसय रि छियामाहान सिधा काम लिया बसेसह नवमय अवसरो पत्ती एकावतारी नाई गतिकल्पा कारा चितिकल्पापाकारी जलग नवतरोध बाज्या संग करना लाएं विकला विजिया उत्सवातियांनी संपदा रुदिई यसादव रित नई SINES Jiang स्प ऋषसादव रक्ष म कह असणं अकासिया पुत्राराववाऽसंण्याचा असता कौशिकनई बिप्रकारि मुग क्रिजावाना काल हवो तेजिमईति गात समिका अकालियरस विदाज्दा जुगेश कडल विला पर्यायांतऋतू मिकाचली डोल गई स्वामी भोषियुद्धता पची मोष्य मारग व्याता पुरुष जगात ईष्यात्तापासी ममोपगया ते जुगत मीय परियायत कडमीय जावखिद्या उघुरिस जुगाउ सुगं ऋतस्रमिकद अंतर्मुगम के केवल अपना पछी मो षिजाता तिशा कालि तिएाइंस बात्तिपयतिका के हवाई वा म तकडमी आतामुत्परियार अंत मकासी २५ किलो तिणं CO
SR No.650029
Book TitleKalpa Sutra
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
Author
PublisherNagor
Publication Year1677
Total Pages234
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_kalpsutra
File Size100 MB
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