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________________ शिविका दिवता मनुष्य असुरसहित परषदा जन समूह जाईल याब लिमारगती एंजालम सीयाए सादवमाया सुराए प रिसाए समागममा एम एवं जावं बा द्वारिका नगरी मांहि महि नीकलाई नोकलीकरी जिहां निश्वरवति कनामा उद्यान स हसाना मावन रवताए गए मशंमा चिसा जिघांर घई उद्या ए तिहां निश्श आव: श्रावो करीनाकप्रधान कृष्णन शह विलिमिविकाराराणी करी ति एवं नागश्चश्शा आसागवर पाय चाश्रदसीयं तावत्रा सिविका ती ऊतर कतरी करी मुकादिकफ माला हारादिक कतार महाधि नमसयमेव कतारी करान साया उपजोरुदती तर मनालंकारं असमर्थ पांच मष्टिकालाच कर लाक्करीन बसक्ति बिनवास पांणीरहित विवा नपत्रि विहार क पंचमुडियाला कारण यात पीए ए (वनादिरिक चंद्रमा संयोग एकादष्णवस्त्राल करा. एकदम माध क शिगनुभाग एवं गादव समादाय गरि६८ and biddinche SON Inter
SR No.650029
Book TitleKalpa Sutra
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
Author
PublisherNagor
Publication Year1677
Total Pages234
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_kalpsutra
File Size100 MB
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