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________________ बंदरासमभिरप्रेमात तवसनमुरवावही तो न ही एक नवल जीते हमें करें स लागार वीरातिपरोमाई का दारा दिल्लीवरेजल ना देशी अष्टकारण मेदारे जलन को इनोदोनदिदा कियर सुगतिक नीललना होतीय वन सेवरेल कीमीन इंदोविलागेर एकघमीने यादी सोनुमे मातोश्रागविशी राबस्यो जमुनादी सतत दीसे बेंकर शमील पिपदीसे दो समान वितर गणत्रायो दोनलों . परदोरीसरतार ३ प्रेमकही बैठो टोली ने कहा दोघ पटमार · सामासीलगीर दी . मिर ॥दार विगत मनील शिवना अवामियात गतिस तिवं सरीर नील पतिका र गति संपत्ति क कदेशमलाल० कि मऊती होम मुखिमको श्राव दसो करोल मिल्यो दादै वैसंगो एये वनदान व्यारो प्रोमो पनि विवार- प्रघम गएको नवीकडे दो शतमी तार सोनारिका मिलन एतमाम से दोहराऊंगी कह कर के तट की कोमला बोल उन मोरदिमायाव्याज दरू में सस्पेएरा हो किम हिरामारी अपली रे हो कालालियर १० केके धरण
SR No.650028
Book TitleChandraras Patra
Original Sutra AuthorMohanvijay
AuthorKesharvijay
PublisherYakruli
Publication Year1760
Total Pages208
LanguageMarugurjar
ClassificationManuscript
File Size97 MB
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