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________________ नंदरानी लिनगन विधये नावशिसुविसेन वेदविचार हा नाश्मती स्वयमे वगमादिगई जब सारीतिदा वीरमती स्वयमेव गदिमा गई तमेव लोटपोटी गई है ऐदेशी। वीरमती तेरच्युरेनीयम गईनी रूप सने हासातली द्वारतले विदेश्दारे नारकोड कन्त स गर्छनारूयेने करे क्रूर स्वरमनादस गोरे निनोन माद नागरीक मूर्तिमा वीरमानविरुद्ध स वकील नासरे तो पिन लहसुस २ मिनि सारे कामनाससः मुलगेरे प्राण ४२ कारे नगरी लोकनिकाय सा रमल राडो घारेरे तो हिल सुधाय सन्चाली नीवामयइरे विदाम सहकार स. ति बिसनारे मिलगर सह नगरी कोटा मेरे बेला प्रति एहस विपश्यनेनिमेषमेरे सनिलीवचनविमाननार सदस या स कवाडीमा गयो वहारे दागे वृक्षराज तस कोरमा दरार बानोलकरवाल स० कौड काओवादनुरे चित्र यो अझ सन चिंतेमुनारिमेरे श्वान दीएक टोक स फेरविया फिर एसदिमा स. १० एकोटरमो दिरदीरे को सकलचरित्र सनारी विमल शरीर पुस्कर स्वचरित्र सारावीताराम स नवचिंनेले तारिषेरे बात विसोम रस १९
SR No.650028
Book TitleChandraras Patra
Original Sutra AuthorMohanvijay
AuthorKesharvijay
PublisherYakruli
Publication Year1760
Total Pages208
LanguageMarugurjar
ClassificationManuscript
File Size97 MB
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