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________________ Jain Education मलद्योतकर वेदवेदसम एक रसीद एवासीही बमेशी यात कोईय करकरा वरमृगनिश्माल र सिकिरतरात विद्याल मंडलूम् सारिया बाजा सविन्द्रयाल ३ तोलाईयवर जा गरते वलाया संग चो गसमवेदन बी आरंगयतेग ४ हिोत सुरत सारिया सफल सेतितदीय पावलीका ममें ले मणिकाय बाई सारियो नही कोई शार मुशिरते तिलावता २६ ले नेमारेगवान ने वेदनेकवान डाल राज नी ऐदेना वीरमत्ती कहिनी वली बेमुदत सदी कऊंबुजताएर मलेवावारे अवासी लिन र लाए हवसुधा चंदा अधिक ने कसा विदेशीतिनिरष्ण तविवेक सा दीवारी क तगम्य सः वातविररीतली सुरम्यरम्य सचदताराले गनोलीस दीवान नदार तोयधिक्यरिओईस सं० वी० अंक शास्त्र सामी ही सेकस कौक को इन दीवेति एमुक सबलच्या लोच सा बनना ऊसुम तादशे एका तार रा दिसमान वलवली न विझेओ इस देसार नव नवनगरावरा नयनव नगरनिवेस सः नवनवीन मित्रगा बनउपवनसु ०वी० नवश्नरवर नवन ry.org
SR No.650028
Book TitleChandraras Patra
Original Sutra AuthorMohanvijay
AuthorKesharvijay
PublisherYakruli
Publication Year1760
Total Pages208
LanguageMarugurjar
ClassificationManuscript
File Size97 MB
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