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________________ एकमतेही जी मिचल बोधरलीतल वेदना एही २३ कलस एनरि सागर जातीनिरखी नसुरगिरिग्रावर चंद संबंधी कर श्रविज्ञान समसुरीदराओं करीयरमगुरुवंदना कविरुसेवकमोदन चिऊ वाप -वदना १४ इतिश्री मोहनविडाय विवि पाटनरवारमतीवद्यासागमनश समग्रह‍ शिवयदप्राप्ती ४रुयालिलिक समास ४ संवत ११ कार्तिकमासे सप्तमीति मिसिरोमीय मित्रो शहरक विड शनि श्रीश्री सम श्रीश्रीश्री यगात्तननिष्ण नापविट वनत व्याव बादर क्षेत्र ते लादर रखवा वा मम दोयोन दीयते १ स्केल बंधनात रस्ता एवंवदनिरस्त्रीका इतिरहस्य श्रीयां कलीनगर सेरपी श्रायास्तं श्रीर के कल्याणमलवता इतिश्रीश्री। सिव होयध्याद न्यांन शिष्य रामादान दिऊन मोसमृद्विदिव्यगाष्पय दृष्ट्ा नापितमा यदि
SR No.650028
Book TitleChandraras Patra
Original Sutra AuthorMohanvijay
AuthorKesharvijay
PublisherYakruli
Publication Year1760
Total Pages208
LanguageMarugurjar
ClassificationManuscript
File Size97 MB
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