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________________ Jain Education स्फाक समानतालादिकतालमा विधिस १२ खानादिकन चाचराश्रमयामीतिलदार सवस्तारी गई करणीमकारि ० २४ स्व दसे रमेकी करे कोई नी रसीकस राणीवसस्टकली श्रावीदखनीक स०) १५. नीलसन ने कह सिघाडीवर पनो नाराय चित्र स६ कारिसिवें दिन माल स० मोहन बिममनोहर ल सातमीढाल स० २० स्वारा करीबाहिरे यावी साली नोम जीला बरमुष्ण निदानविदा दाम २ निनिवस्त्र नेसरा हिस्वा सर्व मुख्या व विमार ही तेघई गर्व २ दासामिसिनानकिहि चुदीय प्राबि करोमीनदोदा व सज्ञ समाईन शक है हेमुष्णा महाराट्रय समचं बरततेयमथा कमघान ॥ श्रसंगो कियदिई डासरीचास वोटोमधरोरखामानि मयरिक्सिवा | स देवल नघाएं दीक्षा दीसेद्वार एमोदिनिश्चिहस्ये वस्त्रदारनिरधार मुख्यादिकस छलीमिली श्रादिरारि संदेश धामीको मोनोश्रममनुदार ढाल लूंगीगिरिशि खरं सोहे ऐहनदिशी। दिदनितामयत वस्तुनि रातिमातायें अनुमति दे हर १३० विश्वस्त्र एका मुनावि नश्तों सहीमा नरे त्यक्तेरदानरे दे Brary.org
SR No.650028
Book TitleChandraras Patra
Original Sutra AuthorMohanvijay
AuthorKesharvijay
PublisherYakruli
Publication Year1760
Total Pages208
LanguageMarugurjar
ClassificationManuscript
File Size97 MB
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