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________________ वंदराव दानयतिवाद रह्यारातियोजकमा लटनिय काली में लो नैततली ऐशी ॥ रामसिंह राठन करे। कुक मोरे सुहाग कोमल कमरे करतात एक यारविशिदलारे छविमान को ईश्द्यारका रमेशेल बेईम यो दिन देवतेरि महोतिरोचवितोय को यतिसा शेताला बाधाम एवाई हो जाजीवाकर मोम क कोईन कमरे मुजमिनदिवाटा निमन पेनहारे हलवा का ना दिनाक देश गिनारे तक एनला सानेोजवारे देईद चारालीहतेरे दासननिँयास माग्यो सरक मरेका मेरे कामही प्राय श्र करिनानविधाय सातबाराजानाटिक कोटा लाटे के मिल रह | दातानमि कोटय् तान हीरे मनावेसान दारे तिम एक द्यावयासच दोलखालीले दाबीर सयानमार सानरिनरामवार ऑरेंजन्न हालें स्योमारईटीजीसारे लानगरंवार २३ सो सिलावतेोराशंसीदेमि सुमेंटरीलीलारे तिटों के ददी करिकेमि एस का को समोन को शेवकरा तन्नो २१ सीकारीक्ष ६० R
SR No.650028
Book TitleChandraras Patra
Original Sutra AuthorMohanvijay
AuthorKesharvijay
PublisherYakruli
Publication Year1760
Total Pages208
LanguageMarugurjar
ClassificationManuscript
File Size97 MB
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