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________________ Jain Education in सवितातार नं. १ मेडन कामविटी रेशनिविदा में करकरिता घडला को धमिरे २० प्याशशंहिकार मेकरिनंदार उमाटो साहसी २२२०२२ नवलदार वूली करकरादार मानिसजग २२२-२३ श्राऊंडर हवेंता हरेंबोरे २० २४ कसादे इदिलासा रे गमकरिविमासा घर स्वताहासार इस दिशा माता चिंतारिख सा तारे २० २६ काही मोहनविडा में ढाल बहीनिपट रसीली उड्या बाल गोयारे २० २७ द पर रख लेऊण सुरा तेसघलावतिशत गट २८ हा दिनवोली रोटी नि सप ककन सिंवाद एवनमेंतरिदिसा प्रसाद रतिदावारनिमनिसा करवाका श्रात स्मरा ईनाटिका मुख्या एकते हमें नी लिंबरासमा तासवस्करच तोकेका पेहलाना में विद्याधरने स आयोजएदरें सिविल संग रेडमीतरी विन सोनारित तिदा एकाकिनी सूलीसमासंकेत महिबरमा र अक्वा ज्या वारमतितसा विरथी नदादि ६ यत्रादिनश्नागरिक बेलीकाप्रकास रमेस विसंधाम aily.org.
SR No.650028
Book TitleChandraras Patra
Original Sutra AuthorMohanvijay
AuthorKesharvijay
PublisherYakruli
Publication Year1760
Total Pages208
LanguageMarugurjar
ClassificationManuscript
File Size97 MB
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