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________________ निमात्राखाल कार्टमा दिकजनजति मन नम्पूतिमिना बना र बुकमा नायिका पूर्व पर कामदाता तथा विश् वनस्पति काय संलनिकभिरिता प्रकाति कारण काम्माको कम्प्रणितिजीव कई कारकका तिन विषम० नानाप्रकार न मानिष्टविनायक विष सरक प्राण जातीपातीनी नानाप्रका दिनरात स्त्रिला हातहतिजवनस्पतिना जीवन हारती चा तिसरा नासरीर स्निग्धता काय नाशरी त्रिना शरीरला वानस्पतिना शरीराचा नानाकार नात्र संघावर प्राणी ना शरीरान विनेति का (गागाविहाजा सरावा एसइसी रेवणापा हरकनाए विनि हमादार तिजीवादरतास विहातावर चित्रक बेति परिविस राय साविक संत वियोगात दिना जालिया सरका एसरी गामा नाराना पारसा फासागरगा संहाण संहिता विद सरोपागल विनवितात जीवा का मालतीति मरकार्यावर सरकाने प्रगतियासत्ता तयाहारियं विप श्री चित्रकरसरागंण्यदिघवी काया दिकमान परिवि कोई एक मरितापना करार विजवानास मानवदिक कायदारयेतaamaनस्पतिमाजीवति। ऊपजताव का एन चानक रिसकराग्रहीन विपरियं श्रापीका परिमाविकका यासार विय श्राननिकटका शरीर शाखा पत्रादिकाननावमा नामाकारन जिम स्नान नाना मनाना कार नागाना करना नानाप्रकार नाफरमान स्तन कडिया विसर नानाप्रकाराशरी नाता प्रकार नारसाचार्य विकामा मानविक्षिता ज्ञानकलना उपचयमको विकरूपन पातला मनानाप्रकार हादनम्पतिनविष refparatlar विचित्रनिमि यानि विवि तजीवति होउप वाऊना गरीन तिचुका तीच या यापुढचा सि ७६
SR No.650027
Book TitleSuyagadanga Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorLalchand
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1645
Total Pages170
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_sutrakritang
File Size88 MB
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