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________________ यानी डिमापरिपरिका सिन तथा डी सर्व जीवादिकपदा बुझेपन हा सर्व खा मजाज सावा श्रानाराम तिमि किणिक द्विशिकादिकाला जातिमा वा पत्रमा प्रत्यकादिकाचारादिक बधा हदी शिवससामा सागभवितास्पात्र जीवजीवप्रतिममुं सविषाद दवई दया नामरूप कति दो जज्ञात मार्ग मादा सर्वसमानाल बताएमा निस्के ति० सर्वना व वध की उफराटा सुखावहालीस प्राणामपियान ही एक दिया पालवान यात श्रागामी का लिाजत लाल पालिका पन्ना चाउयंत सं किंता नाकारत्रपरिग्रहिस्संतिताणा सिशिांति खुशिमं ति जावोपास ● रका के विस्मतिला समाससामा सरापात्र मात्र सामा जात समा तिरुव तिसादपारगाव साचसा देता जावा बलिया पडा। वजाइ राम!! सविस् तिताणाचा गालवितातीया aamanji क लिएगा चार सारंग राणा कारवांक तिवाकर तिवा पय सरका राणा ऋणुपरि तिशत सिसिति जान सचख वरमाणा चाएगा मिशा वारणा सहरका केरिया डाहमा गाजीवा सिशिंबुशिंखमुपरिणा जरातिक्रमांक ताला सर्व कर समाप्तिक हितहिं बारस हिंणानार क्रियाधानकन विषधर्म कलाविना काजीमा सिमित कालिनी सिद्धा वर्तमान कालिन सामाईका लिन हामी जवानास बुरका सर्वस्वनीकालिनी का करविवार वर्तमानकालकर करितिगामीय कालित कर स्पर्शन दीप मित्व नातर सामण्यात रमा क्रियाधानक नई विष परमानदान ताजा मिशनात का लिसिद्धा वर्तमान कालि सिफ आगामी कालिसिस स्प बुशिंतान का लिजावादिकपादानाचमान का लिजा श्रागामी का लिजा लत्पादि संत दावयच लव साकार nemme बतरसाम किरति ४५
SR No.650027
Book TitleSuyagadanga Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorLalchand
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1645
Total Pages170
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_sutrakritang
File Size88 MB
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