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________________ जुड़ा नाममा माया करपरिसंघका दार आकाराननगरादिकां झालं तदिता वानरामय इति परनि निकलना डालीय विशेष नाही काहानीपरिमेवियानोपमुक्तानासनी परि एकलारागार दिन लाएंड मीनामित्र जनपरि साडीरस्र मनपरि बलवंत धर्म निरिष्यरिषदादिकम गाल निशामरुनीयरिडात समुद्रापलीशी कादिक कारण र हितमानादि सम्यालपानीद मानहानिरु पिरंऊ जाव दहियम्। पुरक साउंड परकी परिणासवा वासाया लिमालवा के मुका वनदियातिले मित्र रालेगणा वा पिडिवा पवणिरुवालचा काम्मागुत्रिंटिया विम विमुक जात नामा॥ (राइवदितात्या अश् महा सारा सालाचा पसागरातीचादाप्रवासामाल सासू रामास दिसामुतया सावित यसाता चिततिरावं सिडनीतिं पतिमाया गाद तिवा मगाईचा अमाद से महारा तिरुका वसुध कुछ विडि प्रात जाचासानानां परिजात सात जाष्टधिवानी प्रिंसर्व फरिस जीवा सागतानकि हाईप्रतिबंधन सि घृतादिक साता अनि परित 11 प्रकारका जड पापा हम्पादकक कस्ता हतिया को राकिनी डाकिनोद कि की प्रतिमानाचा इतिपाठका सिवाना नानाधवाश्रन्यसति पीडकलका दिकति कधिकारि पति हमाहिधिक कादिकति प्रतिबंध नाहीक जाएं जिमिनिनिविदारक वजे ॥
SR No.650027
Book TitleSuyagadanga Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorLalchand
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1645
Total Pages170
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_sutrakritang
File Size88 MB
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