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________________ *ति जगमादिकच्या एकाएक किन नायकलांना एकानाष्टा इत्यादिकमितिमा रोजale साबाव संतापाता र डिणिकारणसर्वजीरिसमवर्तमान प मान कार्य महापुरुषालाई सर्ववीणमाग्री पतसम्म एकतिहा दाचार की जानकधर्म स्विकार वसंत्रा मानक मिश्र वित्तंग स्वरूपक करा सहित धर्मापात ह न मिश्रकही धर्म नाकामा जमिः कांपकी दाहिक सांध्यांमंयाज्ञवेति तेकहा चार विद्यावागः श्रगारिया बागा नागा या कार्यमा वाम asamma परिगदिया सर्वत ऍपरिशिड डिनिवमि एसआरए मतदाता जहा डराए, साना संता एतसा सा मित्रा विनाम एवमादिति शतश्रा माऊलम्य सरक तिचावारत दयामपियेतिया कीरा एवा मारिएका घरकी माग एमएस दहिंमानानि त्रिकरदिप गिचित्राव द्विनासा की पित्रादाय साकरस दिन की रानी पर प्रादानविष्टाि मिनिराम तिमभिपात्रतादाडमलति जयश्राम लिकही पर लिया कदम लफलाहारी तापस श्रावसहियाश जावा हापिएको एक कार्यालयका घामाकजकत्पादनातक दिवादिकीचकानननत्र एनम गंगा त्रापजाचा तिमार्गतिक संसारमा हिपरिस्रम एक है। कालिमानको ना बाजार सर्वस्व का चान माग्न ही कांति भियानमा सदा वारपारको वमादि नादर्स यत्ताएप तत
SR No.650027
Book TitleSuyagadanga Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorLalchand
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1645
Total Pages170
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_sutrakritang
File Size88 MB
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