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________________ कलाका कविजन पिशवीत किमान पाए दिखतुं व्याक्याल पण पतला रानातानाकरणिक रणिकस्माद्दंड की नस्पतिक स्मानिमाकाई एक रूम का वंशालिटिका कं लादिकान्यमाहिनामा टिकट दिमाग का तो काननी शुद्धिकर तो कलाक साम्रा निताको मतान नादान दिशस्त्राणि सिरानमा हिपमा दिलमा दिक स्वयं मकरानननतां लिखी कि की गादिकान्यविदिशात दाम राघवयानमा सक दि सवा कविंचक विंडलंवा विधित्रांति इखलास पसंती कादोड़ा सा होगा पकड शिसा झाला कावा कंगू पिता रंगा तिला पिचादिम संवादास साम गैताग कुमुदादिकलिकाल स्मामितिका सालिंदा दिवा का हवा कंगे। वापवादालयवाविदितात इतिखख स महामं कादाड पश्वतु, तस्तपत्त्रियं सवति श्रादिति दंडसम दाश्रकम्राड एसि श्रादिति श्रदावर नामसमादारण दिडी विपरिया सिया दाडति श्रादि उति साहा एक मुरािस माई हिंवा पिई हिंवा साई दिवस मला हिंवा नाहिंता छात्र दिवा धूता हिंवा सहाहिंवा सहि क्षेत्र समार मित्र मित्र मलमार तावदनार घाइं श्रामाए श्रानरान उद्यान चीनव तो संतान रानातऊपज कादाड पणिकारणिकस्मादंडकोशकार नम्मत्रिय कस्मा दंडनिमित्र सार्वजति सार्वद्या सहित क्रिया स्वान कस्मात्पधिकक हावार देवानां पांच मक्रियास्वानदृष्टि विपर्यास दंडक टीईटई मिजाराम जिमाकाईएक मातापितान हिनिला पुत्रदा किरा प्रमुख सचिमापरिवारसहित सत्ताधका ज्ञातिपालियान काजि मित्र मित्रनदृष्टि दिपक श्रमित्रमिमाह पाएत कलशात पुरुषष्टिनादिकम
SR No.650027
Book TitleSuyagadanga Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorLalchand
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1645
Total Pages170
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_sutrakritang
File Size88 MB
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