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________________ वररक्ष 75 कदाचिन रक्तस की मायाक 5कालवांशिवाय सिया पादत्रता का मालागाए। तिहार द्यानाला कार सिद्धिकरीसिद्ध घारकर्मी पकाई माया हवी श्री सान कर विहोतचारित्र तिनका का विमुक्ति ममादि सिद्धि) सिया कदाचिणासिया कहाला केराला कनः श्रर्विकीर्तिश्लाघादिकन तिमन करावक दिन शासति मुराररूप सफरसन विरागाइ रहित दिशा विका४६ को मानव लहानपानद्यापि रिवायता का वर्णवादानन वाघीरता संयमन निष दासियां कामाला गाjanaa सिद्धवा मुि लासाउ मारास मादि निगड आणा सियासतिरका त्रिविशतांका हा माउं यातायश्ती ती माया । मा विशतास हिर रकमखामियांप फिसि पानादासारका मा परपरिक्षा। वाउ | प्रतिमहता या सात डिपा वासवतित 'एस समाहतं निदाल हिंसमासादिताल समा सतत निसमता या गावहिप डिविशतास सिरक जाम का मालागास विनावाचित्राचा तपास रिमिति समसा निमकुमारनाप बिरति संसारता कामालानविषयति मायामृमाघा मियादनशल्पद्यानिवत्र सरकतचारित्र अहाता महतामाटा या कम नाकारको सम्प यमननि साडिदिरात सर्वत्रकी निवसतिरकात चारित्राएं जमेत साजत्या प्राणानि प्राणी या तक तत्र सादरान सणसमारति समान कर दियान राणा समाज्ञाविति समान कर वाम० श्रानराना समारास मात करता न समातिनुमादनही निपाणापसिकारीमाटाक नाकारका सात नित्यादिपूर्वतिरका चारित्रा ॥ जप का मालागास चित्राचा स्त्रीपुष्यफलाटिक चित्रा वाकन करज. किक काम लागन। सो श्राप दिन ही श्राणापान राधा हि परिमिष्टानि परिग्रहा
SR No.650027
Book TitleSuyagadanga Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorLalchand
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1645
Total Pages170
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_sutrakritang
File Size88 MB
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