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________________ डीतिरका यरिया एलिहावराननिय समुपमान 30 बिप्रका शिला गंजणाणला जातंाणात विप्रकाशला कककजीवनाला कजी वसा बीजाजीवावर भियादिपर्व नादरपर्याप्तापर्यात दिघणो प्रकार जीवाव पदमदमासान वस्तुका गृहस्व मानसपरिग्रहापाएगतिया समाएकाकाईएकमात्र क्या दिक ब्राह्मसारिग्रहाच मतकरी सारे प्राम तसाणात साईली सपरिग्रही जाकजाक जगत्रमा त्रिनिद्वार कालीनयेति समासे तिलकरत जीवनकारी व्यापार कर लागविज्ञान राणा हि समारं कराव निशं। समारा करतात जातिमा । सानी सपरिग्रहीन प्राणातिपातादमा डी हव चामास विग्राद। सातगतियां समागमा झापा विसारतास राहा जामत सांघावतंसयं समानं तिसमाज्ञातिसमातम माति। इद गारवा मारेला समरिगादा सीता (तिया समागमाहामा विसाला सराहा। जइ मकामालागा! सचित्रावाविज्ञादात सपरिनिष्टं विपरिविति परिष्टि समादलु गावासारता) पशि "गा। खलु आगारात पाहाखनुगार सातारा सांत गतियां समागमादणा विसासामपरिगादापाताचाणि सापाचा वा विसिस्समा कस्ता गांगपरिग्रहाद मा० जगमा हिगृह म्बसारती सपरिग्रही नई एगतियास मापाकाकाई हा सांगतिय समागमादा विसावलासपरि निद्राम कामजप काम स्त्रीसंग दिला गावाजिनादिकमधित्रादिक ग्रह निरायादिपरिग्रहापान राममिलन सारे ली सपरिग्रहीय काकश्रमाणामारी सरिग्रहीपालान श्री रेत रहित परिगाह परिग्रहरहित जरब लुगार जयगृहात सपरिय हनीमा निश्रा बलायर वा मंण्यंचा त्रासामा श्राचरिस्प प्रतिपालिवानिमिति श्राहारादिकने में घिसारे ती सपरिग्रीनी निश्राज्पाल स्प एकमा शादि ब्राह्माणमलिस चित्रा कनकादिककात कामाला अनुमाद(समाप्तिकलिगमा दिए शिवमणि एक कमब्राह्मण मारला स तानिगर्वनिःपरिग्रहीको धर्माध
SR No.650027
Book TitleSuyagadanga Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorLalchand
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1645
Total Pages170
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_sutrakritang
File Size88 MB
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