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arrot कहा तक दिन माता पितालाई दिनार्यादा किरात दास मित्र सर्वमाह । स्वअन पूर्वपरिचितमातादिकरादिकामकाज्ञातिसमारोप m
प्रकाशमाणात त्रिपुरुष भ
पातिसमनिजामविचार हा कभी पीडा रा गरादि का चातकादिक राममुद्या उपज अनिष्ट जादा प्रत्यादिपूर्वपनिया तारख वितता माता प्रिसाद कज्ञातिगा श्री भी प्रार्थना कराउदा किमान श्रा रियायहणपुष्ट उवलीयतरगत (माता)मा पिता मला या मतगिमलामा र सयासंगंध संग्रामात खलु प्रमाणाया। श्रहमपिवासामदाव छो खलु मम मायाताका समुप्पा उमममय: 5स्कारायायेका परियायदा
सुदाम
मासमतिजा नालयंत गाय
घद्यापिठा हैजावाणासुदी का मित्रा साया मित्रा तपशिमा हामिहागाव (पादानम पालम बेलवात सिंता विज्ञयताराराममायायायारारक।याताका समुप्पाद्या श्रपिह जापाखाह सिता श्रदामा लिरिका मित्रापशाकरिता पीड
पतिष्णामिवा इमाम तारायायका
स्वकिपीडा तलपड स्वरकी धरामा मनकामना स्वाई जलतज्ञ निस्काका चासनही तज्ञातिगान की काडिया समनशन सिंवाविणातज्ञातिगीन।
गांगना पिलिपत सिंह सातिस्व जनन स्नानाला नजादि कि पार कर स्वयं एक
ताराकी राधारमणायामादर्शज्ञानिनशे मारणानाकाईप क) द्वारक015 खारागा सिाहत्पादिक पूर्ववत् जात्मक पातज्ञाहीन वनमा ज्ञातिगान अव विचीत्र | [मक एलि
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