SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 169
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ म्हारीसमापि चाउकामाख्या यामधर्म की पंचमह पांच महाव्रत पक्कि पडिक माणासहित संपि तिचा श्रीमहावीराना ज्यादा श्रादादिनानुप्रियतमनसुखऊपजइति मक विश्वना दिनकरि तात०] तिवारीस पातकापा साली नई श्रमणलगत श्री महावीरावनातिए समापि व्याया धर्मकी पांच महाव्रत धर्म पडिमा सरि म० श्रादरान वि धर्मपालत्रिमान श्रीम धर्म स्वामि श्रीगत कसिल उम्र प्रतिक पूर्ववत स्वाधी शुदि४ चार मनि मानवडीमध्येति ऋषिषमा ऋषिलालचंद ऋषिपत्रा निरसिंघ वाचनाई ॥ ॥ श्रीः॥ ॥ श्रीः श्रीः॥ समाना लदिय ॥ ॐः॥ तात्पात्र द: मुदादवाए प्रिया । प्रापडि बंधंकारहि वारसा श्रतिपचा क्रमागता एकी। जी हाथ के एमालेदियत्रय रमेश श्री सगवातालदा पंचमदचनियामाविहरति सत्र : लित्रक शिषमा वादा
SR No.650027
Book TitleSuyagadanga Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorLalchand
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1645
Total Pages170
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_sutrakritang
File Size88 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy