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कार शतक काशवान रामस्वाण के सरिता तिमी नई श्राप झापाली श्रमीइनई सिगाना साना टिक करा ना दिया मायाको पदिया मी क हिना ऊतरीन कहाकालगता करिकाल कर किं कालगता
मना करणार कि नाविक मरण नाकारत दाद तिवारनिग्रंधानाल्या तिन्त्र सिया डीकाल श्रीका तपाणाविति तिहा कान प्राण कढाई राष्ट्र की पूर्व परिक्षालादासार दिवा उपतवति न्याय मार्ग नलागो न दान देकप्रति बाल्या सातशतिया जगमा दिएका का कमनुष्य वामदलाली (महारा करम [गादिक करवा कवितामहापरिगादाऽपच जावश्रामं दिया दिया पाच रुदिता तहाका लगता किंवा सिया मम्मे कालतात याविञ्चतिज्ञाव त्र्यंमादार्याणा यानि लगाउदा मतिगति सनंतिम महा विदाही मिया ज्ञान हुए डियागंदा अवसादग्र डिविधता ज्ञावीत!] [ज हिंस गावागा गाश्रमरतापदेडि गरिकान ताता श्राऊहिंतितालुका सगमादापादागतगामिषालय नि बेति ततसादितितावितिमि हाकायत विडितिया बनाया इतसमद तामेल लिगपदिकपरिग्रहमिया
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मकाजाचप्प डिया दाहि साना मास की इत्या दिव्यान्यापूर्वी परिजा ची जी लगीरीवर जावजी बाण नावादिजन श्रप्राणापासक नई श्रायाणास प्राली श्रमणमा दाड व शिरिकाना माकी सर्वात मनुष्यता की ि देति ताताकृती नाली गापा पाप पाप, मादाग्रही नई दागती मामिएणालयति दुर्गतिगामी फुछीएल के दामहापरिग्रहवत्रताका दिकगतिजा निघाणावितिततिदां बता सामा प्राण कहा तसावितिविधि की कि हातिविपासवान श्रावक वापरू प्रत्पादिपूर्बली