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________________ तिताहित नायक श्रन्यदर्शनी नामान कथकी मानीनासपन नियम विसेकामा उद्यमकरडी निशा देता में काम करई बीमाबापत परिव्राजिकानामाश्रारिक यात्रधर्मकल्पात किया कवि निमोलिक दिन जो लगी जावित्र मानत नवकल्प पगारात परिवाजक परिव्रातिका सा मोड लिइंबई सारिवा कल्प निघाल्या देना क म्मान कान कप्पतिसं विहारि विदरमा वचराधका वलाद्या विश्कर्म ननद करागारंवाद जितपणसालाग याव गंधबाल्पा देता यात्रा देता श्राइ त्रिपातित जिका श्रमयपछि साक्ष सिंह raar ई. निग्रंथश गायक पति वागारवादका वाजपाएगा सजीवाप्रदा त्रियंश्वसंकामका इंतकामका किंति सिंतदा रिकयातेाचवावापि कितित यासावश बिदा विरमाणातच जा जिन एड्लाह (साजासजी सारिकप्रतिनिस पारमाणारिसमा इदामि तदा कुप्यति समाग छाणसे जिन समाया हा लिये पत्र माया लिय निगवे दहावा सिजाएं हान कप्पे तसं जिन एण्डलि बाई सारचा कल्पतिवार नियंघाबा ल्याईसमधनी वा वतातिमांडलग ईसा शिवान कला काज परिव्राजक सजीव पाप पहिल परिब्राजकन कप्प मोडलि बर्डस जिक सवलत जीवन विद्याल कम्पनिमा लिई मारवा कल्प अतीव जइदा लिए वडा परिब्राजक कम्पस मिल मानन पलिश्रम निधन‌मा लिई इटा शिम पिये वा श्राहानियां समाज इवाजिवार इस तिवारइत्र मज तिम्रा तिवार व रवान कला स नीक स त्रिवि स्वापार आवडीम] [तसािन संघातिन कल्प श्रमण घिन माडल राजक घया तिमाला पेडमा आम एवमायालियन सान जिन 30
SR No.650027
Book TitleSuyagadanga Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorLalchand
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1645
Total Pages170
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_sutrakritang
File Size88 MB
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