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________________ साक दिन संति गुनियामा एकाकाईएक हलक मिया मनुष्य उज्याया निवाससं तपसाधनाकि गतिक स्वनिश्व व मुंडाविना प्रत्यादिनानि संचमान रिये नगारपादरीका के मित्र सामान लिए मकदा पहिला विरतिरुश्राव कनपालस्य मनपसंरव साचिनिन सहन कति परिव्वा एवं सेवासावडावयति तरि शतकमिति श्राराजादिक नया सम्रागी राम पप्रपञ्चवाणा [33] [पादनासाली कई गृहपतिवा चारविमानका क रतनपुर नगर नत्र खुरराजत लिएकदा घरात मानाप्रभु महिमान श्रापणी हाक!! माहादिवादा नगरमा हिंपी करावी जाकाई मी मुदीमा रुमगरमाहिरह निग्रहराजाइक 3 वाजता किहिनीमा नवीन ही श्रमी आजादी श्री तरकाष्टपुत्री माहा तवति पावलवय संचापामा मुडालवित्रा आगारा [गनमलिसियामा एवं संरव साविति ॥ तय श्रतिदावतिवारमा विमारक पत्राए हरा सूर्याम्प जननी कलवाला तल सर्व प्राता। नियामा सासवंति सिंच mainasa मरदेव तिति एवं संवासावायेति सर्व त्सवनदिवसिाल बादवादिक व्यापारानगरमा लौहार ना विचार न यत्रो न तो गरमति कोई की तिहारमा माहात्म राजा काकाना हमकडा) याद कटवालाष्टकानगरमा तिवार तारिनगरमा क्षिजातं बाद दान राजान नई वीना स्वामीश्रष्टपुत्रनगरमा दिए या तिबार राजा स नई विणा सज्ञान आदी मा कविराजानामिकदिवाला स्वामी को कुल उमकर कोई घरि कुल समागतधन श्रम्प कहिक। राजा गाढव अकाविच अष्टिप्रतिक दिवापिष्ट राजानन नारी राजानी जीतहिरिया मकारनिए रोजाना हजागी पांच पुत्रमन्दावानावनतीको त राजानमान तिचार ज्यामिविवानी बानाको पनि मान त्रिणिका विवानाबानाकानिमान तिवार बि का दिवानी वानी कानुनमा नई ग्रम्प जापान ष्टिनगरमा हिलामा टाशला कामलीन इंजावान स्वामी सर्वमात्र कारिहार कुलस्पयुक माझा घाम्ना रिजवार पिला माता का तिवारई राजाईनु के पान कत्र मूकाउं 33
SR No.650027
Book TitleSuyagadanga Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorLalchand
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1645
Total Pages170
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_sutrakritang
File Size88 MB
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