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________________ उदा० उपनाम श्राचक नावं करता। गायक सघाउ पणिकार पिप्रतिज्ञानसंग जिम किक एकदा प्रतिज्ञा की भी जिमई नागरिक नही नशेत नागरिक रूप श्री रामादिकन नागरिक निदं नई किस्म प्रतिज्ञा ही परिणामित्र सनी व नाघाती निवृत्रिकी) नारी कधी जात्रा घावर माहि ऊपना निवारा तत्र सजविणा म्प3 मकरप्रतिज्ञा क इति मकद पञ्चरका वि करता वाक्याकार एकताका तिता खपचरकालनिर पञ्चरखा द्राक् रामखाक रात सुपरका नियंतति पञ्चरवाई पर्वणीपरि श्रावण करा लोक सतिज्ञा नायं तिघही गृहपाकक वर्तमान कालन विषयऊपना पास दि० प्राणी नरंविषई दंडे कण्वध विनाश निहाय खाडी नपचवाणकर पलक सामील पत्रादिपञ्चकता पञ्चरका यसवतिपदेपञ्च रावमालाएं / सुपञ्चरका नियंतति वातपञ्चरक विमारा नाश्यरतिस गंगादावतिचारगाहमा का था। तस्त्र पागाइयां तिस ति याय तस्म ज्ञात हिंप एहिं लिहायदे पवामवसनासा जरकाविति वपासास किएगा या गणं गादावतिवारा परि काम विक्रमाला जातका दाबला दावा सवतिवियाई नासा गाय मानु शरायति तरानमिगध की धारन उपयोय पाम्पान के प्रतिज्ञानाला पापक राजादि कना सियाग बलाकार की खान रिठा मित्राना निरति गृहपतिचा रंग विमानष्टयुक्त विष्ण गीतसन सनदी कर एन कम्पन विद्याधिक कही ताल गई हाण जिम के हारना रन एक नविनच वाहन दही जमत परवानगी मसतः। तासाञ्चनी सामान परिकामा जाजाका साथ का दावा की कातिल मी परवा कर परवारणमा लहान गाई पर यधिक एकरातून विर गावति न्यायमाना असा हा श्रागतमपि नई एवं एपए वाल न सामाि निमृषावाद ane किं
SR No.650027
Book TitleSuyagadanga Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorLalchand
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1645
Total Pages170
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_sutrakritang
File Size88 MB
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