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तारणमाचकरसन घतल मरिचादिक संस्कृतमांस संतिला गराई जिताय एजाणताघका निविकी कासति मांसास सायंडितासनारूप पर नकार िनक नमास वायादि सावन मास माहादानी याचा लाघवाल की मियादमासादिक किस्प जनकदिबाई खान सादा श्राहार नई परिदरसाद सावसिंजा सर्व जीवपाके प्रियादिकन दय यादयान दिया निमित्त सादासं० श्रासादिकात महादा परिक
इस वंतित पाव मजाल माला मार्ग कसला काही क्ष्य होयामावादा संपरिवयात स्त्रकि ॥४॥ याति माणसाहसिंगा पासापुधाम्माइसेज या ६२॥ धिमि मुणीसोलावावाताची (सालागा। 21 सिायगाव महास करनाक डा
प्रादाधानक प्रणिनाय पुत्राश्रीमदाचा नाशिष्य उद्दिनने साथ नशद वालागी कल्प वा श्रादार परिवार रह केनरा एव ॥ ४॥ साना चार कलिई न्याना हिंसा सिकाएको मासाद्यनुष्टान रिताका मानसिं पाएं समस्त प्राणान दंडे विनात्रा लिहाय डांडान सम्पाचारताना साध तपासादा दारादितिजालाई पनि मननई विषई संजयानामपनुधर्म ती तावाया विएसा बुध्यान भिसा सिंजाता इमिणाणायता दिइनन्त्रपरिखड यति गाविहाय दंडात म्हाण व मित्तदपगारे इमेसमा हिस्सिहिचा दिवारका बा
च मिश्रीती क रिनिदी आहा यह गादिक धर्माननुमासिकधर्मात श्री वलीयत नाचार कहि नान्यादिनामिष्यादिपरिग्रहरहिताविप वाक त्या दिकन विषमेश साहारा सम्मानरूपसमानमान साध हि माया कि कि चार संयमन विविचपाल बुना त्रिकाल आशा सापत्रमादिककराण्मूलन करीउाबा सहित साला लाघा पाडला कि काला काम २२ मा सामान निराकरिका नागान्पा श्रादाचा क्रमाकाशजविताना निरानिमानसमा आश्रय प नमी जिकिर त्रिसर्वनाम ब्राह्मण जाविवायुक्त पासवानी
माग्रीदाडि सिलाय
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