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________________ मा रामिडन इंद्रियादिप्रलिम्पती लिघाचिज्ञनापासुन मूलभ परिमाणमजिघान परिणामिश्रण को प्राणघातनाला गवली जगत वि बाविरुद्ध खलनी बुद्धि मिलरकणकाईएका मानव विप्रान पच क्रमावात्रि बालक दिलाउनि बडानी बुद्विमनमादिश्राणी एका मिहिन पापादयनिनुपरि किरा नलागारान स्पा ॥२॥ कलि सिंचन मारगंवा वाकुमार मिलान विवान को कुरूष जायात एक निविषई मान पच विरमायपिंडण् मनमादि एन लाईन पिंडी निकाल पणिपादपाए साजननश्रमिकपतिताननकि स्परं कवि एतावता मनस्य संकल्पित कमला गई॥२॥ काफ सारंका कुमारसांवादिलायेतिनिपईपाहि लेभिक पायानपापिष्माय पिंडेसनिमा साहा उडाव सदास्पजातायपतिपिपत्तिरक या गाल मन्त्राज्ञा गरुवं जयाचे पा तिजया विपडिणिति ॥ 2 ॥ इं अधिकाधिक दिनों सिणायम, तहना डावसदास बिसहस्र गिनिजबोधर्मन विषनाकाईएका पचनाचनादिकाल कई जलाय कबिना शिष्य निजनमाड तिकतामा श्रममा सुमहििलना पानशन एप कुराराधि स्वईना भिसावत्र भादवा महंत नाम राशि ४ मा घडी चाकुमा प्रतिकादी मार] [वि][४] मूर्तमानि इमक दिएका कुमार कलिहाशा का दर्शना म्हारा मन ई विष शिलाजुन श्री वचन के संजया संयत नई जागरु माणिकादिमानमानसमा फलदान पावक्तव्यता खान नाव किन जाप तुहन साव झिकहा कि राजान हमर किन पिस तहनागुरुतायुक्त कौशतक इंडियन क दंड कार्ड प्रापकीनर गो गृहन्नला ना दिए जानातान कि कदिन वयं निजवलनीबुद्दिन यानि परुिष पंडित अनशन प दवा विविप मिल स्कूल धिमा नुहाए दादशांश्ररिसंचविक माशांच बुद्धापत कम्पतिमा रमाए। 2जी सिखाया प्रेमबंध समदडिणितातिवेति श्राराममहेन गासन का श्रानादिपादाग्टवितंत्र साझा वयं
SR No.650027
Book TitleSuyagadanga Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorLalchand
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1645
Total Pages170
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_sutrakritang
File Size88 MB
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