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________________ संयतपणान्ताननविदा दीिवनिकायका पदाधिकाय नात्र कार्य सजदा जिमम स्टेडिका हाकिमुवाई कर पाषाण करती जनन डिक श्रातडिद्यमाणा ताडतापाताका ला कानमात्रमणि हिंसा का हिंसा का खत घालाय डिमानादभिर्विप्राण किरी जान का जननमेडिकाद्यामापा जाता तापात्ताघमाराम गण्डदा मात्र उपाय रखमा दराज खिए डिसावर निवास जान जानद्वावयवाण्जीवका रितिक स्वानही एसएमसर्ववनामावादनी आपको [प नित्य सूर्य नागवानीपति सामान श्रस्मात दीड वा ता कवि खलु भगवयाचीच लिकाया कपमा तेसर विकाइयाजावत सकाया सजहााणामा डीनामुडी] विदिशाका उऊमाला रकेलयंप पिसासा सिसिस्करणा देतरका कपिलूसा अव जास जान पागोजा हिपावदितिप सिरकू हयपञ्चरक दात परकाल का एमा नासापरिड एसयाका संजय पाच काम किरिसंवार्ड पगतपंडिया विलयतिनिनिमिञ्च र कारण किरियाच समयसम४ श्रादाय दिन सामान चदराजाला का नाम दिए सर्वनावनिक पसली स्कूप पशितल प्राणातिपातादिक आहार पापधानक रात निव दिन निधानादीत करीनाला देवानी अनिक मितिनी नाराय पुष्टिनोद तिमनि नडीवालादिकादिण्यदिन हानि किरिए कार्य क्यादिक्रिया तिमी निकाय न हिंसक क्राजिललमानमायालाल रहिन समाधियंत पसरवल्लुवर तिनप्रत्ययतया कमी तथा क्रियारहित सेन को मंडित। इम का नामित्यादि पूर्वी परिजात्मानकियानममा नानानक्रियाका चारवेतन सम्पक कहिवाई कारश्राचाराल श्रताडिय) aur 3 उदवि वसावर मसिरकू तत्रानु 27
SR No.650027
Book TitleSuyagadanga Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorLalchand
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1645
Total Pages170
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_sutrakritang
File Size88 MB
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