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________________ LY १५ बेताऽटारसागाई जाईचेदे ऽप्यो पर सबिस पडिचरंति' डराईबल इच्छेतेरस भागाई आईचंदे के सामए गई सय मेवविदिता चारं चर" इसे साचेदम सोऽभिगमरा नियम बुढीतिबुटी sma सेवा सेवित इतेि रवि चंदे देवे 45 हिति ॥ तितेरस मे डुडे समते ॥ १३ ॥ कयाते दो सिमा बहु हिराति तदोसि दोसिबाहिएक रान दो सियछे दो सिग बहुहिए' से धकारपत्रान दो सिय मागेदे चत्तारियाले मत सय ग्याली से बा ठिभागे। मतस्स जाई वेदे निरज से पटाए परमे भागे जावंरसीए पारसमभाग एवंजाव दिए त केवतिया दो सि दोसि यरिताऽसेबेज भागा" क्या ते धकार बहु दिए संधका रमेस धकारे बऊ दिए तेचैव सवं जानू परिता सेरे भागात चउदस मे पाडे समते ॥ १४॥ कहते सिघग बघुरिए तंचंदेर्हितो सुरा सिग सुरेहिंतो ग्रह सिधाई ग्रहे हितो नासिनतेति तारासि सदा सहारा तेरागमेगे गमलेगा चंदे के भाग संग जेजे नवमिताचारेच विस सत्तर साल यह सेग बेरागमेगे समां सरेके व भाग तेजमले उनसे मिताचा रेचर तस रिषेवरस वारस तीसे भाग सहि तदेव बेतार समजले नवत्ते के भासहिंग तेजेज मेमले उनसे कमित्ताचारं चर तस्सर मंकले परिबेस कार सती से भाग सय हिंगल देवता जयाचेदगती समासरे गलीस मात्र भवति गतया के बसे सेति भागसेसेतिर जया चंदगती समानगतिसमाas
SR No.650026
Book TitleChandrapragnapati Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorKanhaiyalal
PublisherDelhi
Publication Year1843
Total Pages64
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_chandrapragnapti
File Size26 MB
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