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________________ वनस्पतिबिलाया जिय ॥४॥ चउद लापाजानियत का यानी प्रात्य कदना लाघ/ विविधताएं डीलाद्याबाबक दी। प्रवचन साध्यपि॥५॥ तिर्यविद्याचंदिवतानार की व्यारश्लष्यान या मानवमादिवदला घाला! | ईमलाघव रासी ।दाय जिप॥६॥घावर पांच विगालंड जकां । विदोन दीस मकान संग नरसरमा दि. दबकमीजीवा कश्सु बाधरंगाि |||७|| करणी सघलीसमक्ातबादिरी। उस मंमएसमए। कमीमा ऊनलो॥ ततदि ||दीसांगदिर की अइएवं सां नली॥दवगुरुश्रमीचीनवासवक धन्यायिनां समकाल || राममल्दार देसी धर्म पिसावा रमी दाऊदानातावादुर्गशिकायला सुदा विनावाताव॥२॥ दमाधम जीवप्रा दारा| आपका शिकल्याए। इस विपरसव सुबक साउरामफल निर्वादिणधर्मला इस अन जाए काइम मी या सवार कार देस्याकारी कधिमीद || || मनिलु 152
SR No.650020
Book TitleBaraha Bhavna
Original Sutra AuthorJivraj Muni
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1650
Total Pages14
LanguageHindi
ClassificationManuscript
File Size6 MB
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