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________________ समाजाविरें तिवारे अरिहंत एकदापुस्तादे |रिहरति प्रतेशं अरिहरिहने मी श्रपया क्यायती बरतती पारितो बाजें देवोविहार निकरि नाकलेनाकलीने श्ररिष्टनेमा साक्ष द्वारका नंदनवनथी तिवारेगोम नंदन पण तो एडिलिस्कमईना बहित्ता जगदविहारं विहरति ॥ ततेासोगो एकदा प्रस्ताव जिहां सरित अरिष्टनेमा तिहांसावे यावानई तम अणगारे -प्रणय कथाई ॥ जेथे त्रस्त अरिहरोजी विभागबाईल अरिहंतारिष्टनेमानें तीनवार प्रदक्षणकरा वांदीवांदानें इबोलें चांबू अरिहंत्ररिभिं शिखुशी श्रादादति॥ एवंवई प्रच्चामि तेनहिं धन स्वामिन्नुम्हारी श्राज्ञाऽई विवरे नगरकी थकें एकमासनीसानी आदरानें मयथाबंदकमुना करसे वेंगुर संवत्सरतपनें तिमन फरसे प्रतिज्ञान फाति समया) मा सिं निस्तू ॥ यद्विमं ॥ ३३ संघनिताएं रिहरित वनखंद तिम चारमानाप्रतिज्ञानें त्रोपसवनि उता बारसनिखुपमिमाऊ । फासेति गुणरत प्रदीप देवकासति एद मबंदकनो अधिकार |रंसेएस एंजधारा ताचिरीतित-वंति तहिं सहसे उ बरिंदर सवारपालाने यावत् सिया हेजतपस्वी तिमजवित तिमसंथारा निधिवर सेजाऊपस्वदे साथै संलेषणा करें एकमासनी मनि हृति) मा सियाए | संलेहपाए। रारसह रिसाए । एशिया उजाद सिह एवंखलुजेडू यवतमुक्तिना अंगना यना ग्राहमा तदशाना समोल || जासंपते। श्रहमस्स ॥ अंगस्स ॥ अंग उदसा एडभस्म वग्रस प्रथमव ㄓ For
SR No.650019
Book TitleAntagada Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1853
Total Pages78
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_antkrutdasha
File Size31 MB
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