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कहना इमजबकमरपतिल
इमजन्मनिरूह्ऊमर एक्लोविशेष प्रयन्नपिता वैदरता
माता द मजसत्तेम
ना
जोहे
नेहनाएअथ कला
लीसेप्राया एवं संवि नवरंक सेदिता जंबूदत्तिमाया एवं अनिरुद्वेदि नवरं एनशिता वेद समुषविजय विता शिवामाताए मजरनेमीणि १० सहाएक विचार स्त्री मार एवं समीचि नत्र समुदजिएदिता । सिधा माता एवं | ददनप्रीदि १७/ संवेण्गगमा निखेवा इतिवपूर्ण श्रमपतवंत यावतमुक्तियोग्य ना चराश्वय्स्स निदेती। प्रतीच्ट्समन्त्तीः॥ जतित्रतेस मलेणं जावसंयते घुस पदमा वर्णना अंशान श्रमण यावत् मुक्तियोग्य अपरूपा दस अथमहेयाते पंचमस्स वग्रस्स श्रसगडद साएं समरीणं । जाद संयतेल के अहेरी इमनिशेंजेन श्रमल यावत् मुक्तियो पदमादना दसप्रध्ययन परुष्णा तेक पद्मावती एवंखलुजंबू समरोल जावसंयज्ञे चमस्स | व्यसदसश्रनय्णायनज्ञा तंज एवसादती २ सरीला सुसीमाप् सत्प्तामा १ रुकमला पूजसिरी ए शमीरी गझरी लरकला४ | जंबूदती ६
जनती द
मूलदत्ता
सीमाও] सङ्क्रामा रुमिली घुलसीरी मुलप्ता वीर
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पप्पा प्रथम ज्य
मध्ययन
जोहेनत श्रमल यावत् मुक्ति योग्य प जतिपते समलं जावसंपी। पंचमस्सग्रस सायपाता। एमसहानंते यन्नय कुल अर्थ परूया इमनि हैजबू तेलेकाले तैपेस में द्वारकानगरी निम्थमयावत् कृष्णवासु |स्स | केएल एवंखनुजंतू तेलं काले | तेणं समएणं | बारवत्ती हाथी | जहाय मेजाब कण्हे देव अधिपति यावत् निचरें ते वासुदेवनें पदमावताना देवा जीवन तेले वासदेवे आहेिं जाव विहरति । तस्सएं | कण वास देवस्स | एवमादीनामदेवी हीचा व्हारा से
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विशेष
जीविता
माता