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________________ तति मनजाणि । ए० ३१वा काय येनावर लीनिका : १० क इततिम इजना विवाकाथनावर लावला श्यक प्रा० घन क बंधवानउ धान जे कृ के के बलाबूक ह योवनल्पभूति कांही बधे बाउइबई के के वला बृक र तदेवंागलिकायं पहियं ॥ लाने संतेनो पहिग्गा का केव लीलया संतगृ निसान इ. १० अग्निमांहिं०ईदि 19 के पूर्व क 9] जालान इ निघताना जा जालवान न प्र 15 आया मेरा ॥ संजए नि रक्तूपमिद्याए॥ अगणित स्सिंकटाश निस्सिं किया वाग्नि उपरिस्थितितैोडल नाच नुन साडीमा करातेका सा राकराः ० ६० इक केत ला एकतर नायिक काठ ई. | उदरिय आहहुदल एका ग्रह निरण चोवदिद्वा)] एसप‍ जाविनः ० रा ६ देउ अग्नि७१२६ स्थित प्रा सेन्ते निसा तिवसा धवा मा० दार नकल यह यान काय विराधनामा श्रीक' समुदइ. १०गृहे स्वान) घरिः श्वै स काययक की 5.5 बैडू: ना| ४ || जावनो परिग्गदे॥ ६७ ॥ ६॥ से रिक्वा २ || जावप विहे समाये ॥ १०१ किसान ला० सम इ दोष दि०ता के रंग राहिकै हिट
SR No.650018
Book TitleAcharanga Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages594
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_acharang
File Size220 MB
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