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________________ मा०मा लोड सादिक श होय सहित वनुरविश्यादार Jain Education 20 ०शष्ट सपा क 15 ते सर्व या 65 मनो०नलाइ शराब आचारांग मानो हम सवा४॥ जाक्फा कसं नोपमा देऊ केवलिया तिवसान 5:00 | पी०बोलोट कण्यासा विना सरणी दोनकर्म धन कारब मे०ए [तगृहस्वः अर्थ : व्यथबाया ४६ सुदोष क 33 दिव | के० केी व जे ज्ञाना बू०बी | ज्या यता उउउ आयाणमेयं ॥ संजए निरतूप किया। पीढंवा फल गंवा णिस्स वा उद अ० माला ३०३च माडी डु०चउई. ०गफैसल य०935 सिब्ते गृहस्व होतार हुन्छ [35] त3 लंवा वहुउस्संचियरू देऊ ॥ सेतच्चरुहमा | पयले ऊवा (पवा The few सिते हातात तिही पै०य प०यडतउथका या० बाबा उ० साब उपहर संवत स्ताक व्यवाः पता: प्रियवाः गलत‍ क ४६ सेतच पयलमाणे चा||पक्रमाणेचा | दचंदा दानं व्ा । बाहाना | ननदवासी सेवा
SR No.650018
Book TitleAcharanga Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages594
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_acharang
File Size220 MB
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