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________________ इतिश्री दारांतात स्कं ४३ साता यो देसकसमा दिए३॥ दिदी सइ सं वडामा विधिक काहि इलाइजा वाक ताविधिक ६६३५ इतिश्री श्रम सिमापन स्पवृत्ती दोहेनाकः ॥ समाप्तः ॥ १॥३॥ सिन्ते नि० साधू ति०सा जाए व सेवते साधू लाप्राकार १० तेजा जानामि हिस श्वामायमिदासतान₹59सकाइ खडिजाइन के प्रवास खाडिते है खास दिन कई ते मासादिक काल कहिउ की इराक ज्योक मासनादिस्त के रबाबत वामी सनाप्रावडी पूरी इतिवार इतेमांवर संखडिक सेनिरहवा जावयविधे समाये से ऊं ॥ जायेगा। प्रसाइदं वा ॥॥॥॥ इतिहांस्नादिकले निमकर लो इसे ले जानादेशन श्वारिदिय इति काममा सीमा तथा मासमा परम हामि फोन मा सनिकां सरखड कर वानिमित्त मांस काका ते मांसल जाल म विजा मिला हाक मारत आहे विवाह नतर संका वडघरमा विनिवरन घरेनोजनकर इतिहांधलोकन कर मिलने के काय इ० ने कोई जातावकुव्यवादिनायान का ज वामसरव्लवाना - अण इल्ली जनक स० स्वजनन सन्मान जागा हि मालानीजनकरे 5359 कारे सं खडि जो वाति हनन मिल रई कि हा सवलनादिकशी० की प्रजातातिकां सांधू निकल न नाइ तिवार पूजे दो बला देवाल व्ा ॥ यदेत्।॥ हिंगोलंदा समेत गोहिनवा ॥॥॥॥॥ही library
SR No.650018
Book TitleAcharanga Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages594
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_acharang
File Size220 MB
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