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________________ गृहस्थ का सरीरानें । विश्ववल मानें | सिन्सीवजनांतीस्त था शर प० देएकवार मो वेत यावारंवार धी दे श्राचारां यारो कार्यसिव सिन दमवियमे एवो लेडवा | पो एक वा अनेराई उपबोरे सोनू तिप्तेसार एग्नही ते साधू से०तेमा सूनो सिकदा वि१० हस्य । २३९० सूपर कियोसाकी पर कियोगिकरा दे का सरीरविदेवीने बेनही एनडीनू गोसाइए| गोते यि मे २३ से सियो कार्य सिव। अन्नयरे विविशेषकी पराक्रया साप तेसा लो० वि०दिलेश्न जा०जाति आलेपनेंकरे आछेप ना इकराने बेनही विजेवनाएं प्रा लिंपेड वा विलिंदेड व खोत साइएको लिय मे सेतेा नासिकदापि नेरे ६० भूपानी जाति भूपे १० विशेषय स्थका शेरीरनै विधेय वर्णषु वयो कीभूपे २३ | ५० ] भूवेक व १४वे २४ से सिया रोकाय सिव | अन्तयरेधू वजाए Epe Private & Felson पर क्रिया कराव
SR No.650018
Book TitleAcharanga Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages594
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_acharang
File Size220 MB
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