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________________ धामनमांदी गजाइदो | १० सेवेसावे एकेक सह सुसन तंतेकदेबे ने वातदीनें नवां साव दिने एक जाने के यथानु समदि मे छ दिक चा संभारे गम गए | १० सेनिण्महावेगाड्या इंसास ज्ञातंज दामहि नाकर एक हितां ते हननास्थानकू अवनानि हहती नाका किवा जो जा निनिमित्ते किया तेव वेदनेनिमिते किया मितेकियातेद्वा उषूएतेनेदार्थाना निर्मिती चतू स्थानक तिहां हवा स्थानक तिहा स्थान कति हो कहवा स्थानक तिहाँ सहारा दिवस एक त्रिक। जाव क कविदिशेषते नेरा जीवनकार्य ततथा कारवास निनिमित्ते किया तेहवा स्थान के नाम ए निनिमितेनी दसानन कनें तिहांसनिलवाने तथा पाया एहवा स्थानकनैरि लोन थइन । मनमोहितवी संमेल कविजलद्वाक्मन्नयदा ॥तहारा इंद्दा अनिसंभ मीरा जारी | १५ समाभूदेश देहकेक | से०प्रष्ट्र | उनले देशमानेस रिङ्ग भएका ए| ११ सेनि०२ | वेगइया इंसाइंस ज्ञातं महिस Personal Use Only
SR No.650018
Book TitleAcharanga Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages594
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_acharang
File Size220 MB
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