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________________ २२० विधि जाण्जा ३० रुदनि गहस्य गाण्द्ण्डते (कं० कंदमूर/ मूण्मूला दिक मिले ते कहिये करा साधूने काजे स्थनी साधूनेकाजे दिक ने मांहिं के २८ जाजा दाने हरिका अंतोसाहरति प्रादारा मिल जायेगा | इहखजुगादा रईवा गादार सेवा | कंदाणि | मूलामि पातला बाबा शिकाटे | बाबाहिर | यसहित | नमदियको हिरे राजारहरिया मिला। तोगदिटिहारेति | वाहि तो अनेराई राष्तथाका येण्यंदिला नवा पालघुना | दोनो सिरादेप नातेवा नेवि नहि मीनात शिव ||अन्नयसि तद्यागारं सिथं मिसि | सोबारा सत्यवो सिरेका || सन्ते सा साथ म से | नंग पत्र यं | जागे | सर्वांस तकि 22 से निरक्कू वाशसे (पथं मिल जाये नाखसि ล थ लिमिल हने. नपरे । प०वीदाक ना चाऊ श परे सिवा मंत्र library.org
SR No.650018
Book TitleAcharanga Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages594
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_acharang
File Size220 MB
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