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________________ एण्ड्रम | बाहिर दिव सज्ञानी विष्कार वितानी भूमि तथा भूमिस्तथा मायामादिरुद एकगाम थी बीजे २ एवं बहियावियार भूमिया विहार भूमिंठा ४ गमागमं ।।। ५ मण्यण्द एण्ड्र | जाज पिछल थदिवे जी B || अथक छोमी चाण्वर दासता सात ६०विहार करतो सर्ववस्त्रादिकन दिले जा परं पातले कानक ये देश नेते जिवि यमदावायची से मदिनानीले नदिक उरण जीवधते प्लेजियारे किहो नो बेतिम जाए एंजाऐका|तिरदेसिया | वासवासमापेदार दाि एए तो सप्सची माणसाने जातिमा सेवेकको एक एण्यामिहारुं श्व विशेषज्ञद दिसाधून वस्त्र मिहारोल्पेनेबेका सारासादे एतजेक ल पटूएई विएस्पेतो स्वकरिकेने विधिक मानक होने सलाए| टावरची ररमा या एई से एगति | मुरागंणामिदा रिश्व चभ्यए दिनत था पण्यम्व दिन जापमाश सतेजाजावत् एक दिन जावे जातीनेगी ग्रामादिकने चरी तथा दिवेजाइति तथा दां गंजाएका जार||एगादेवाऽयादेपारातिया देवाख्या देवा बेदना |तिदिनदिन तथा library.org
SR No.650018
Book TitleAcharanga Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages594
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_acharang
File Size220 MB
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