SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 238
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ হাতু शहर ले०कुडू जानवेद्रा सरसामावेगया सेका नवे रिसामावेग या सेका नवे २०६ वा विसर्गसहितः टेक से०से रहितः निष्ठनर्म से० ९क० से०सेव्या Jaat 2 श शासन व सग्गारे गया से कान वेगा। रुिसगावेग या सेडान वेझा त० तवा कारते | से० से व्या०दि ८०. तर विविचालक हितमिवार रुडीती हव सताः मान संरना तिवारचा रिवाज समविज्ञ थकतीनदा सिंन्चा रिश्न विइलरमा गि० सी नावाडीला गतकाल तदयगारा हिंसेडादि संविक मासा दिए गादिसत्तरागं । हाईबन करे 5:09मृद्धततर विद्वान काचारिविश्य आचारसहित इति णिकारण | सा०सम इग्न होततिर जारिस: तातः ६३३ दे सकपरिसमावित कई कांपप्राचार एए पूर्वकाया र कहिनः ०५ तालतां पुरा सा स्ना क्या लंकारते तेनि साधः निसाध्वी १२ सा विहारविहरेका गोकिं विविगिनाए र ॥२३ राख helibrary.p
SR No.650018
Book TitleAcharanga Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages594
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_acharang
File Size220 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy