SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 151
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ० सिना० बाब मिकादिकः २०र नादिकनामा ३०० दिव१०३ : ०० मूलवादि उत्तिसा जा०साल ते स्पउला वरिल उद्याला मूं तेक ।।। यगंसिव विरगं सिवा ॥ ७ राजाखेड़ा संसद ते संसदेम सेवते : २०डिग स्विवरक लाइ ५० सबरड) अन्न कुइ कृ० कायः डाउन०याच देवान उताका र जे स्युः ए दीविसेब ०० डाउनऊ संजेकरा ८० कायः दारावर डोउब्दः या क पी हि से संसठे वाढते असं वामसे (सेयहि गाद धारी सिया या मिय निकली से०ते साः ००दि पाचादिक जो लांडते कानयोग्‍ स्त जालीन इ गृह स्वतन अन्त० प्रोन हिन कहो बातः मिगादरावा (सेवा मेव् | आले एकान से शिवा ॥ नग मिलिवारा (सं०बर डालकुमा ०वाः सं००२) 355 २००३:३० ० डाविना. ० चुकन इ ६० दाय f सेमं संसद द्वेय (संससम सेटा (संसदमा प्रसं कावा Vjainelibrary.org
SR No.650018
Book TitleAcharanga Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages594
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_acharang
File Size220 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy