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________________ ० ले तू दे बात तेवतेस अनएवामानुज्ञान थाले हे कसे नमनिग इतेाहारच्या घर बाहिरका नाविप्रा मितेन दूहे समनुज्ञाता इतउतेास्वारिक कारनक्रमास नवारक उपहार ने किया दान देवालाले इलाइजा इस दिवाला नावारिवायान क हिस्संवदियानीहडतंय दिसमफ रपा समि ० है न फास्फ नी०नज्य इ० ते सनादि ० गृहस्वनः संतायत का फा०शासकए जा स ०६० कारन मुनिना बाकाव 5:00 25 मदन प लोसांन 73 जानो एमिगादेकातं परे हिंसममुपायं सममिस । फाफ यूं लाने एलईले इ एएम कार से बने कमान सीमित साथ सामग्न ५०४९ मारव० निश्कराः १० ना०साधन: नि० साधवान संपूजा बजा ma जागा : जा०या ते । जामिगादेका। ७७ रावं व जातस्स निरस वा २ सामगि समुइलोसिस का जनक रेशिमी से धर्म स्वामिले बृद्धत केहो जिस सिक्ते सा एव प्रमदेत समासोमिक बनाना इतिविंडसवानादि को इएक सरन वो दस की स्पा समातिएनविडंग्रह यानाविश्कारका साध२० विंडनायतितानुपाय मावा प्रशारणा से रागति करने क बेमि॥इतिथिमेषाधायनस्थनमा देशक
SR No.650018
Book TitleAcharanga Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages594
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_acharang
File Size220 MB
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