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________________ | गजलाधारमा मंग्रामिकयोधायारणईकलित चार गियाच्या प्रकार नसूना कटक मनइवइकरानई जिहांबल बाइककटक विदांचा। मानादरता करता द मन्मादमगार हितकर = नअधिकारीब शादी कलियं चा जंग से पझलाह सलाद ज्ञा शायनल एते लिहावा नई दवा कर जिका मादा तागा निवासबाते बलवा ककथन जाएगामा हिलना अशाल निदना संजय कामकाज करान धरानमा जे द जयविकारा वांगना ॥ पतिपतितरां से बनवाए आगे से त्रियमा दयानमालायाम सामान वे कापसा लियंसद्दज्ञाता एवंवया सिखियामाला देवापिया सुत्रापमुहागद ला जयरथा नशामा बंधु बसियानी जेसनाब इतिव। प्रत्येक श्ऊण्डारण दाते एकिसी शशी अते य के कान एहवामान वेतन व शिवाजी व नातन निचम्जोत्र बाबादि यो एउवा एसा लाए परिचक्रपादिश्रकाखिदाई कुत्ता एय सजकर जागा मा दिलिप स्वापयमा करी याणी ऊताराम तिवारणाने जागा सालीचे जाणसाला कलबाइक पह प्रयोजन स्वामा नाग्रासाप वशीकरान दिवानवाधिकारा प्रतियपि हि तपसे आपण सालिए बनवाया ए मा लाए वि ४६ वामाहरा सा काम काज करान कांवलासपर्व दाता लामा दोदेवसरलाचलाः मुतप्रभवा दिदिईनरदेवा यांच आणायांबर जिके तियांग बाहिर
SR No.650017
Book TitleUvavai Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorKesharvijay
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages211
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_aupapatik
File Size100 MB
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