SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 83
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ विवियानाश काराश्राकारा श्रावयनिमल मोटारवाना मोठा निको तियान रण में बंधिनाबू जियाना जावरा की जाबे काजीला सेवा कर र= तिबाश्पतीचं पानामनगरा नामाला गायरण हार विविक्त्रधारा महद्विश्रा महतिया जावयं अलि वासति तयांचयाम नवघाटका का नाम त्रिति हामीमा व्यारिमुखमा प्रसार महामो टनेलमार्ग मोटने लोकना बदया नाम जनलोकन समूह मिल्य छ= वज्रकतिही व्यारमांग मिलन वनइदिए । बेइजिहां जशा लोकन ॥ |राप सिंघाभगतिगची चरचर मुह महापातु महयाऊ पसादतिया ऊसा हि तिया अ बोल शब्द बोलिवउस जून लोकानजकल कलश मफाइन बोलाउन समफाइ पपर प बोलिविया डामकलकालतिका गुम्मी तिवाऊ मुक्त लिया शिवासन्नयोरतिया बाणा अ स्परेश्मा होमादि एव च्या एक श्जेव पदक बेकर मई एव सनिल पवांजल एवं सारकारे खनियो सूमग लग ताब ॥ हा हिवतापाटार र दिवाना देवाणुप्रिया सरल स्वाव बश्वक समासः एष भातिस्कत्ति एवंत्रास एवं पन्ना एवं प्रसव एवंखलावा बिया सभागन वंत महावार धर्म की श्रादि नाचर्वियमं स्वयंरुषमानिमगावचा का राय बोलावा श्रनुक्रमे विवादि व.मना करणारा हिं ना करणारा मापरोपदेश मोक्ष्यामिवानावर बाबरनम ॥ डारकरनांग दावार आमिर शिक्षकार सधेस बुझे पुरि सुतैव संप्राविधकाम मुद्दाछपुदि ४१ जनलोकन जम्मा तिकदां जनलोकना का लिया अनकननिमाबाबालोकयन्यी लोकनासमुदायन योगालोकन समवाय धानक की शासकका मिल्या लो
SR No.650017
Book TitleUvavai Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorKesharvijay
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages211
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_aupapatik
File Size100 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy