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________________ होता तो नाका व गोश्वंसतेद नसावं विस्मयवंत रूपवद संतोषवंत नेतय नाकारणाहारश्रमणमहमा दंतक मशनर महोकर गो जवसानंदा दावा होइ हरेर्वतमा आपण हा रवि नुमरा शुप्रियो सामग्री त्रस्त चिरावा या हाय हिय यातयति सांस मातम महावीस्टि ग्रामानुगामी एक ग्रामी केड कामयाव ते लंघन ही चंपानगरीन समायापान नाम चेतायतपासादता ही ते समोस रूपया माता का नगर ग्रामनगरसमीपादिदू कटोग्राम नाही. गराई एन्ति मनावांबाबत काय भगवत सहि जवानीमाया त्रिवाक घाविवरमा ! गामा र भाइ मारण चंपा ए गए उद्गरगामन वागयांगरिं दिवानुषी यो सरस स्वभाववंत बहारापातितवातमेवेदमि कहतां सं लेनेवा बन कहांतुम कोणी कराजा भंनसारखी करा ऊनापू कय्या निवाराबाह सहावर सामासरिखंकास पण दवा पिया पिया पित्राणिवेदिमिपि श्राव भगवंतनमानोकरहा र पुरनाचं तिकहता धरानइवी सायामानकावधी अनेरामु एस ही इह या मानवी करपानलास समादिहवन भगवंत या व्यक्ति सामानासम् पाम्पावनानमुकमल हा चीन तातणास ऋशिएरा या संसारात्र तमपवित्रिवानस्मयं तिए एमघासाद्यागिसम्म दुह केनर अंगद मुगटकरी टमस्तक यह दानाकडल भगवंतायां सनिलीनवरहा परहाहाल्यावरप्रधान कडियनुडियबहरमा काममात्रारण वे करावा राजमान सोनम र यस्य पा दारवबजदय जुहाव हिश्रए विकसिश्रवर कमलनय पवयापयति वरकड गडरिया के करमनम कुं हम
SR No.650017
Book TitleUvavai Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorKesharvijay
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages211
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_aupapatik
File Size100 MB
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