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________________ सति तेकहब आवार्यपदाचार हाम्रत्यनीकप उपाध्यायद्वादशांगाया कृते तयतया कुलवंशदिकते गाकोदिकतेता आचार्य केकव 5 प्रतिपालक प्रतिज्ञा नानापति चायपानापाना त्या वादान कलत्रा चालवत्र वात्रति प्रतिवेत्री गातवंति तं हा आयरियम मिया नवनाययमिपायी तड लय मिलीया लय मिलीया गणये मिणी या आय प्रतिपालक उपाध्याय यशसर्व हिसिया वादानाकर हान का अपनी अमावा विद्यमान या मिध्याय वापदा घनता द्वादशांगाना या क्रमधी पापा का त्रिएक मिध्यापीका गाइका वाटपदार्थ नानावना बताकरिता बेदता तेहन हारतिहना निशा करण द्वारश्रावायादिकार साविकातकरी निवेश विकारान रियन वनायाणं यस कार का श्रवणकार का पाचपणे श्रात्माभावाविचर परं निरानईत बजाया करत आहे कि त्रिकारका हिंसाप्रावाहिं मिचित्रा तिणिव सिहि कोडतांकत्या एहवीकरगी बघणा इकवरसल गइ सामान्यचापवा तसादना एवं चरान कालपतिया लताधकाने श्राचार्या पाए भागों विहरित्रा बऊवा साई सामास परियागं पान पित्रा तस्मै समरण प्रस्तावनेव करान तक नाम हन देवकलाविते कामदेवता किन्तु वियदिवान हर वादवता समरधना करता पाचपरं तद्रुतयंच दुया हे माणा पीकपणे समापइंचालो गया लेवेद्र कालमा पान एायडकमश्तेदानि नवगुसम देवड्या धक घास आपणाला श्ययापमिकता कालमा सिकाले किया अक्का मग नंतर काप्पादिवे मुकिञ्चिसिएन दिव किचिसि उपउपाहार तिपतिया वेदेवनागतिमान अमाराधनगवं नी सेनाओ वाकता तेजेश्हप्रत्यक्ष लोक तातिहकिकात तेरसागरोपमवेदना घितिक तामझामरा तिम पूर्वापर विषमत यत्रा एश्ववत्रा राजवंति तहित सिंगती तर सागारावमाविता आणारा कीमत व साऊ इमे गो
SR No.650017
Book TitleUvavai Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorKesharvijay
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages211
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_aupapatik
File Size100 MB
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