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________________ गर्व करा क्लीनमस्कार "नाम रिवाजकन स्वयमचाधिर्मपदानदाता उपदेशक पहिलापति प्रि मोरुन यापन विशया विकामसमा कांग्रमापरिघायगाव प्रायरिअसावाद व्याटरिवानमरिमनाम सन्यासानसमीपई. ग दक्चरख्या। मोटा ध्यादिकप्राणानवता जीजावतीलगा। पांचमो विपनपना पिश्रहिं संग सायरिहाय मस्त अंतिए घूराणाश्वाश्च का आता वाप मुसावा एपच जीजीवीलगा॥ मोदीले गत जावजीवलगा। सर्वद्या नरहारक जाव जावल गा। पबलमोट अपरिग्रह वयपर्व स्थानी काए नाव नावाए दिलादानका विनीते जावजीवलगा। दिवमांण पचरव्यउ। श्रमे नगवंत पंचबो सोमणका आवजी वाप, मूलश्वरिग्राह महावीरन रसमीपे सर्वमनवचन काया एकर आपन व दिनांचा पाका एकाकी वाए इहा पिंपिगं श्रहे समस्तमवत्र महावारसा कोशिश सपा साऽवायं पचखनासा जोजानांतील गा सर्वोपकार व बोलवेनापन जानावलगा। सर्वसिंगल दाखले यांनाच जावजावलगा। सर्वमेकनाका कावे क्रियचरकव जावला बार सबंड सावा याच कामा कावजी वाए संबंच्च दिश्नादापचे काम जावजी या सर्वान 99 खाबी रखजेब
SR No.650017
Book TitleUvavai Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorKesharvijay
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages211
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_aupapatik
File Size100 MB
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