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________________ चलानोटअब पदवीशूटवर को इक देस घो भी इक साधरता पतेय जेप हिल जाधव पापा ने ग्रनुक्रमेतिशय स्वयं सेो गवस या गावावरती बाप्प इमाईजहां विष= उता पाध्याय हो । हमारा ऋडवाए किंचिदत्रादिदा JB वाकीमा माए श्रणुन परितुमाल बीएनए तिवार बाते परिवाजक प्रयास के ऋयायकरा परा नव्यायामव्याध का! याया नवदातार न देतां श्रन्योन्यमाह माहिते धामीक लति परिचायमाश्राणोगासमा तल्हा पारमाणा उदगदातारमपत्र माण श्रणमसंसद्दा वितिर पकवाकरान पदवर्ज पर्व थरि लुगा निहां गामवासना जावशयक बाजाय कोई एक श्वानदेश यो म कहरुवा दिवार पिया मरन स्वताः। बोलावा सविनागपरम्प= "वाग्रटवान त्रा एवंवयासी, एवंखलाद वायुविया गन्हें शमास अशा मिया आवघडवा किंविदेसतरमपत्रा से विश तिपूर्वेलाया जायका पाणी घटाने कारनामे कल्याण श्रनयहागाव हागामन्यामा हवानागा नवदातारते ह गी बीजापोल निश्चय श्रहो सरल स्वाव ॥ जावरा की बात वोला विश्s प्राहिए जावीस तास तु दिवाणु पिया अम्मी समाजात अडवार उदादातारस सर्वोदसि विदिशिन गाजोगवेान करिव यदकर माहोमा दिन समाये पदगवेा रूपमलिलई सांस लानई विषेश्राम दे स न विधी नश paitig सब समेता मध्यांगाव कारन देत्रिकटु श्रमानंतर एमपतिपाि तस didance Ye DAJE
SR No.650017
Book TitleUvavai Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorKesharvijay
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages211
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_aupapatik
File Size100 MB
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