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________________ वनधनधामनुष्यादि नेवला पावानिमिश परंनही निश्चय कराना संघालाही मंद विकास गमला स्वार्थगोह भाषा निवादी ध्वानिमि विदिशा स विज्ञपिबित्र गोवेदपायनवमं संपरकाललडवाय सिपात्र 25 जिराणा हुए। चलतियां परिखा, जकांनई नकल्प भगवदेश संबंधी मानव जलयागानश्यतिशय पत्र लाने दिनेश दीया वाघ कश्यासा हाउए अलस्त पहिगादित्रए सविबम पोवेव वह पनि करा नदीमावानिमित्र गोहलिक रिवा निमिने व वाति सिंपरिवायाएं कप्पतिमा जावराधकोणते ते गदापचयाला हालामुखी पादीयजनया वार्निमित का नाम प्राण व पोचवापत्र दिले विहाय लातेहज परिझाउ की नई कल्य घट (मगध्देश संबंधी ग्राद जलयाराणी नवं लेव प्रतिस्प नेणवहता प्रमाणविशेष सांप रिवायाएं कव्यतिमाग हपाठ जलपरिशा हिनए सवियदमाश पोवेवश्रवमाणाव स्नानगोह नितनवली दाघवाद्याला धोवा निमसे पावाना। तिर्यापरिब्राजकां नई परिणयोल परं नादीनं योवादि । सविश्रमिणा गोविहायवत्वं संघका लक्ष्याए विभिन्नए वा पियरिधा ल विश्वपिबित्र सिलाइ नए या नही वहन जावा की बाजा
SR No.650017
Book TitleUvavai Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorKesharvijay
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages211
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_aupapatik
File Size100 MB
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