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________________ संबाधइत्यादिकसं नियेमादिक तिहार के के खानामाति तेकदरबर राजनुवनमादिसदालासहित जियाना नगरि देश जियांना नारिया नरविष‍ पढ़वायांबर विषयगया बई। रहश झ संबाद सेनायामगु विश्रावयति कहा आता तरी याने गायति मयय मिश्रार्नु बाल रज के बालरंगा जियांना बां जिया नर मातारवाला जियां र पिता रघुवाल बलाजियांनइलाई बलानियां स्त्ररिज पितानव घरते दय की मां बेश मायाब‍ बरकार्यकता। aaकार्यता घरबारषोप कसबा रषोपवमान विवाहित मारश्कियान पियर कियान सायर किया पत्तिररिकयात्र कलघरर रिकया। सामराना रुपकीर मोबs मोटाव याम्पाबाधयगनान र दादानारोम व्यवगतबोम्बलवत्र मान्य उद्यान नवाखान मनकनाकसद वायां खायां । धनं कारयारतिय ॥ यांन मुसुरकुतार किया हमेशा कम करका माइंड वालंकारावरह गोद लिन परिहारतघा स्वेद पर सेवनमलकति बलाबाबद हा मां शाम विद्यतेल गुलाम महामादिकमां मज लवर्णादिकन बृश्यता नयेकपरिसेवक लीना कायाइयांकराय रिप देरजिया-2 गामयेकपरिसाविज्ञान वन गयखीरददिवाणी समिति बालामऊ मध्यमं सपरिव बनियाखरिदारक घावांना घोरणादिक योजना दिनअघि मेयार करावयात अल्प समातेर तायादिक शेक्ग्रानन स्चजबरनियां= नियनर नवाबनियने रहब जियोन दिकनज नव तिथे कार इस मारन त्रकया दारात पिठात आणारा अपपरिग्रहा श्रपेचातपंपासमारीत तंत्रा ६० 235
SR No.650017
Book TitleUvavai Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorKesharvijay
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages211
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_aupapatik
File Size100 MB
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