SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 131
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पामिति वाक्चर लंकारे= ज्ञान महावीर प्राततीन वार शव शिवदसिदईन । यादरनमस्कारकरवादान नातिदू करूच नाति महरा।। दक्षा लेख मातम महावीरंति रकाना श्रायाहि याहिसं कारति तिरना बंद तिररामेतित्रा एञ्चाशमिता मुझसेवाकरता सामकरतच सामुहवस्वव विनयस दिन बाघ जो मान। नानश्कारन) मकत॥ जावेतना से करत सहितते शिर सुलूस माया- एम समास अतिमु हे विसाए पंजलि चाडवासमास एवं वयासी ब.जीने राज्यमवंत नयनविवि सम्यचना वा सिध की पानी अनागतकाल संवं कायिकादिक जेारंजाचे एकांत सर्वयथिभिया सर्व भावकार इरतिनधी दिया नही पा पाप कर्म जैसा क्रियापसहित नया संगमा हा मिथ्यावद्दर सम्यक्काकरान नवाह एपाश्रमागत काल शांता संजय अविरए यदि पञ्चस्कायया व काम्म सकिरिस संवुड एगतदेकि एमतबा ज्ञानावरणीया विक यापकर्म बांधता हो गौतम पाकर्मबांध॥ जाब चेतनास दिन यमवंत विश्व कारे प लिएग्नमुत्र पावकस्मात हंतात रवांशात अजए अविरए भ्रष्यमिहायचा संबंधीनी वा पापकर्मजेसाई किशन को मान पाप व्यापारे मोदना २८२ कारनी ने रूपकमया संबंधी बांधु हांगौतम करावं सर्वमध्यावनियम कायिकयादिकक्रियारहित बाईपा यव बोधः। बांध॥ स्काययाच काम सकि लिए मंबुडे एतदमित छात्राणि पावक महाति हंतात ६५
SR No.650017
Book TitleUvavai Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorKesharvijay
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages211
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_aupapatik
File Size100 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy